Saturday 1 February 2014

करनी कुकूर नाम महादेव !

मगही में मशहूर कहावत है करनी कुकूर नाम महादेव। बड़े बड़े दावे--निस्संदेह खोखले; बड़ी-बड़ी बातें--वो भी छूछा; बड़े बड़े दिखावे--वो भी तुच्छ। अब सिर्फ बातें बनाने और लम्बी फेहरिस्त दिखाने, और सबको चोर-चुहाड़  भर कहने और धरने-प्रदर्शन से ही सारे वादे पुरे होंगे क्या? या कुछ राज-काज की चीज़ें भी प्रतिपादित होंगी?

दिल्ली में बलात्कार रुक नहीं रहे, भ्रष्टाचार कम हुआ नहीं, बिजली और पानी की समस्याएं सुरसा कि तरह मुंह बाये खड़ी है, तो क्या बकर बकर करने और यहाँ-वहाँ अव्यवस्था फैला के अपने आप को सिद्ध करेंगे ? जल्दी कीजिये जो करना चाहते हैं या इच्छा रखते हैं, इतने छोटे पैमाने पे तो कुछ कर नहीं पा रहे , राष्ट्रीय स्तर पे खाक करेंगे। समझ गया आप सिर्फ भाषण बाजी और दिवा-स्वप्न दिखने में विश्वास रखते हैं, अगर ऐसा ही था तो कांग्रेस और बीजेपी में क्या खराबी थी, कम से कम आशा के अनुरूप तो थे। कुछ आशा ही नहीं रहती थी , इसलिए दर्द भी कम होता था उनकी अकर्मण्यता पे। अब अगर ऐसे ही कार्यों में लिप्त रहे तो वक़्त नहीं लगेगा बदलाव कि आंधी में उड़ने में, जिस गति से आपने राजनीति में प्रवेश किया है, निकास और तीव्र एवं दर्दनाक होगा , विश्वास रखिये(एक विश्वास जी तो हैं ही )।  और अगर अपनी वर्तमान कार्यशैली में परिवर्तन किये बिना भौंकने में ही लगे रहे और कुछ किया नहीं  तो फिर कहावत तो चरितार्थ हो ही जायेगी  -" करनी कुकूर, नाम महादेव", आखिर कांग्रेस वाले ऑक्सीजन कि आपूर्ति करेंगे कब तक? तभी तक, जब तक खुद उनकी सांस न घुटने लगे या उनकी किरकिरी हद को पार न करने लगे। है कि नहीं परविंदरजी ?

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