Saturday 12 April 2014

ऐसे होगा बदलाव केजरीवालजी ?

आप कहते थे, लोकसभा में दोषिओं, अपराधिओं को टिकट नहीं मिलना चाहिए; पूरी राजनितिक व्यवस्था को बदलना है; नयी स्फूर्ति भरनी है राजनितिक गलियारों में। पर ये क्या? आप तो इस बदलाव के लिए, खुद ही अपराधियों की शरण में चले गए। बदलाब की जो दिशा उन्हें मिलनी चाहिए थी, उसे तो आप ने  अपनी ही तरफ मोड़ लिया। और, आप ने अपनी ही  राह बदल ली है। कीचड़ में रह के कीचड़ साफ़ करना है--ये तो आप से होने से रहा। आप की दशा देखने लायक है। छोड़ दीजिये ये सब। कल आप सारी जनता को ही चोर-चुहार कहना चालू करेंगे।

और दिल्ली की गद्दी छोड़ने का घड़ियाली आँशु क्यों बहा रहे हैं ? वहां भी सरकार बनाने के लिए किनका सहारा लिया था, और क्यों लिया था, किसी से छिपी नहीं है। तो क्या आप सत्ता सुख के लिए कुछ भी करने, कहीं भी जाने, किसी का भी साथ लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे ? और क्या लगता है आपको, इन् लोगो का साथ लेके इन्ही लोगो को साफ़ करना आप के लिए टेढ़ी खीर नहीं होगी ? बच्चो सी बात लगती है, जब आप अपराधिओं का साथ लेने से गुरेज़ करते नहीं दीखते।  क्या आप को सब लोग बुद्धू दीखते हैं ? उनका जिनके साथ चलने में आपको परहेज नहीं है, वह क्या अपने पैर में खुद कुल्हारी मरेंगे ? नहीं। वो आपको जीता के, माहौल और ख़राब करेंगे। अतः आपको वोट देना मतलब अपना वोट बर्बाद करना, या देश को खतरनाक रस्ते पे मोड़ना है। कोई सिद्धांत नहीं है आपका। आप सिर्फ और सिर्फ मतलब के लिए राजनीती में हैं। कोई बदलाव नहीं चाइये आपको, बल्कि देश की बर्बादी चाहिए।  भगवान लोगों को सद्बुद्धि दे, कि आप जैसे लोगों को लोकसभा न भेजें, वरना, देश की और दुर्दशा होनी तय है।

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