Monday 13 January 2014

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !!!

हे गायक महाराज, हालाँकि आपका वो गाना अब भी मुझे याद है, पर उसकी अन्तिम पंक्तियाँ-- कोई पागल समझता है, जेहन में फिर कुलांचे मरने लगा है. काली स्याही और काले झंडे दिखाने वाली बात, कुछ पागल बना रही है, हम लोगों को. पर, हमलोग समझ गए हैं. 545 लोक-सभा क्षेत्रों में से अमेठी में ही आपका मन रमता है, कुछ पगलाने वाली बात तो है, पर आइने कि तरह साफ भी है. अभी और चीजों के लिए मनवाना है, युवराज को, है ना ? ये काली काली वाली काली बात है, या भयादोहन ?

चलिए,कुछ वक्त के लिए मान भी लें कि अमेठी में आप कयामत बरपा देंगे . और बरपाये भी क्य़ूँ ना, जब आपके हाथ, राम-बाण, सर्व-रोग हरि दवा, त्रैलोक्य चिन्तामणि जो लग गई है. पर एक बात तो बता ही दीजिये, युवराज के खिलाफ ना तो कोई भ्रष्टाचार के मामले हैं और ना ही किसी और तरह के? फिर अमेठी ही क्यों?

 समझ गया... आप कोंग्रेस को पाठ पधायेंगे, है ना? आपने डॉक्टर कि उपाधि जो ली है. लगे रहिये गायकी से अपने करीयर कि शुरुआत करने वाले. उन्हें हराये ना हराये, लोगों का मनोरंजन तो भरपूर होगा ही. 

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