Monday 20 January 2014

रोड छाप राजनीति

अभी एक महीने भी नहीं हुए हैं, जब लोग विस्मित थे आप के प्रदर्शन से। किसकी सरकार बनेगी, कैसे बनेगी, कबतक चलेगी ? कैसे चलेगी ? इन सब प्रश्नो को धत्ता बता के आप ने सरकार बनायीं। कितनो के छाती पे मुंग दल के। पर  यह क्या ! तिलिस्म तो टूटता दिख रहा है। और टूटे भी क्यों ना ? बड़ी अकड़ के घोषणा करते थे, हम ये कर देंगे, हम वोह कर देंगे। इन लोगों को राजनीति पढ़ाएंगे। अब खुद ही पढ़ना पर रहा है ककहरा।

क्या हुआ ? कुछ नहीं कर सकते ? बस सिर्फ दिखावे कि सरकार है ? अब पता चला कि अपने नहीं फांसा था कांग्रेस को, कांग्रेस ने आपको फांसा था , आपकी विघटनकारी ताक़त को कम करने के लिए।  ये तो सरकार न हुई, तमाशा हो गया, और महानुभाव आप उस नाटक के मुख्य कलाकार। बधाई हो !

हमें ये चाहिए, अगर नहीं दिया तो रोड पे सो जायेंगे, वहीँ रहेगे, खायेंगे, पीयेंगे, मुसीबतें बढ़ाएंगे।  पर काम कुछ नहीं करेंगे। और करें भी कैसे ? जब सरकार रूपी झुन-झूने से बच्चों का रोना भी नहीं थम रहा।

तो बजाइये झुन-झुन्ना , शौक से , रोड पे ,मैदान में , घर में , सचिवालय में। जहाँ जी में आये, क्योंकि सरकार का तो तमाशा बना ही डाला है आपने।  अब अपनी ही बजा सकते हैं, स्व-विध्वंसकारी झुन-झुन्ना।

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